Sunday 4 February 2018

संघर्ष

संघर्ष

चाहे कथा हो कहानी हो या फ़िल्म हो संघर्ष हमेशा हीरो के जीवन में ही होता है ।

सोने की लंका, पुष्पक विमान तो रावण के पास था, राम ने तो वनवास ही देखा ना ।

राज पाट तो कंस के पास था, जेल में जन्म तो कृष्ण ने लिया ना ।

राजमहल में तो कौरव रहते थे, वनवास तो पांडवों को ही भोगना पड़ा ना ।

इसलिए तो हम राम और कृष्ण को पूजते हैं, रावण या कंस को नहीं ।
           
राहु केतु अमृत पीने के बाद भी राक्षस हैं और शिव विष पीने के बाद भी देवों के देव महादेव हैं ।

जब हमारे देवों का जीवन सरल नहीं था तो हम तो मनुष्य हैं, अगर हमारे जीवन में संघर्ष लिखा है तो हम साधारण भी नहीं है ।

भगवान ने इस दुनिया में सबको कुछ न कुछ रोल दिए है, सबका अपना समय है स्टेज पर आने का अगर हनुमान, राम जी को पहले मिल जाते तो सीता हरण ही नहीं होता, लेकिन वो तब मिले जब उनका रोल था ।

दुनिया में कितने ही देश हैं जहाँ सूर्योदय हमसे कई घंटो बाद होता है लेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि वो हमसे पीछे हैं । वो अपने टाइम ज़ोन में हैं और हम अपने। सबका अपना टाइम ज़ोन होता है किसी के काम पहले हो जाते हैं तो किसी के देर से । तो अपने टाइम ज़ोन में रहो और ख़ुश रहो, सबका रोल महत्वपूर्ण है।

जय गुरु देव

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