Thursday 18 February 2016

बुझ गया दिल हयात बाक़ी है


बुझ गया दिल हयात* बाक़ी है
छुप गया चाँद रात बाक़ी है

हाले-दिल उन से कह चुके सौ बार
अब भी कहने की बात बाक़ी है

रात बाक़ी थी जब वो बिछड़े थे
कट गई उम्र रात बाक़ी है

इश्क़ में हम निभा चुके सबसे ‘खुमार’
बस एक ज़ालिम हयात बाक़ी है

* हयात – जिंदगी, जीवन
 
खुमार बाराबंकवी

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