Wednesday 10 February 2016

धोखे की कहाँ शिकायत लिखाएँगे

धोखे की कहाँ शिकायत लिखाएँगे - हिन्दी शायरी

उनकी अदाओं को देखकर 
वफाओं का आसरा हमने किया. 
उतरे नहीं उम्मीद पर वह खरे 
फिर भी कसूर खुद अपने को हमने दिया. 
दिल ही दिल में उस्ताद माना उनको 
अपनी बेवफाई से उन्होंने 
वफ़ा और यकीन को मोल हमें बता दिया.
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अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए
कदम कदम पर जंग लड़ते लोग 
किसी को भरोसा कैसे निभाएँगे. 
मयस्सर नहीं जिनको चैन का एक भी पल 
किसी दूसरे की बेचैनी क्या मिटायेंगे.
वादे कर मुकरने की आदत 
हो गयी पूरे ज़माने की 
नीयत हो गयी दूसरे के दर्द पर कमाने की 
ऐसे में कौन लोग किसके खिलाफ 
धोखे की कहाँ शिकायत लिखाएंगे.

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